गरासिया जनजाति || Garasiya Janjati in Hindi || Garasiya Tribe

                       गरासिया जनजाति


** गरासिया जनजाति-- 
                              राजस्थान की तीसरी बड़ी जनजाति गरासिया है सिरोही की आबू रोड एवं पिंडवाड़ा तहसील पाली जिले की बाली तथा उदयपुर की गोगुंदा व कोटडा तहसील गरासिया जनजाति बाहुल्य क्षेत्र आबू रोड का भाखर क्षेत्र गरासिया का मूल प्रदेश माना जाता है राजपूतों के आगमन से पूर्व गरासिया सिरोही पिंडवाड़ा हुआ आबूरोड के पहाड़ी क्षेत्रों में राज्य करते थे गरासिया जनजाति के लोग स्वयं को चौहान राजपूतों के वंशज मानते हैं भीलो व इनके घरों ,जीवन जीने के तरीके, बोली, तीर -कमान आदि में काफी समानताएं हैं
गरासियो के गांव पहाड़ियों पर दूर-दूर पाए जाते हैं इनके घर 'घेर' तथा गांव 'फालिया' कहलाते हैं यह लोग अपने मकान प्रायः पहाड़ों की ढलान पर बनाते हैं एक गांव में प्रायः एक ही गोत्र के परिवार निवास करते हैं

** गरासिया जनजाति का सामाजिक जीवन--
                                                         गराशियों में तीन प्रकार के विवाह प्रचलित है मोर बधीया विवाह जिसमें फेरे होते हैं पेहरावना विवाह मैं नाममात्र के फेरे होते हैं  ताणवा     विवाह मैं वर पक्ष कन्या पक्ष को कन्या का मूल्य चुकाता है
इसमें विधवा विवाह का भी प्रचलन है
         
गरासिया समाज के लोग एकांकी परिवार के रूप में रहते हैं पिता परिवार का मुखिया होता है समाज में पुत्र गोद लेने की प्रथा प्रचलित है

** सामाजिक परिवेश की दृष्टि से गरासिया तीन वर्गों में बैठे हुए हैं--
(1.) मोटी नियत  (2.) नैनकी नियत  (3.) नीचली नीयात

                      गरासिया समाज में जाति पंचायत का दिन विशेष महत्व है गांव व भाखर  स्तर पर जाति पंचायत होती है
जिसके द्वारा आर्थिक व शारीरिक दोनों प्रकार के दंड दिए जाते हैं पंचायत का मुखिया सहलोत कहलाता है
                             इस जनजाति क्षेत्र में प्रतिवर्ष कई स्थानीय, संभागीय व बड़े मेले भरते हैं बड़े मेले  'मनखारो मेलों' के नाम से विख्यात है अंबाजी के पास कोटेश्वर का मेला, देवला के पास कोटडा- कोसीना रोड पर  चेत्तर वीचितर मेला तथा वैशाख कृष्ण पंचमी को गोगुंदा का गणगौर मेला इन के प्रमुख मेले हैं गरासिया युवक मेलों में अपने जीवनसाथी का भी चयन करते हैं वालर ,गरबा, गैर, मोरिया व गोर  राशियों के मुख्य नृत्य हैं यह नृत्य करते समय लय आनंद में डूब जाते हैं इनकी बोली में गुजराती, बीलि, मेवाड़ी तथा मारवाड़ी का मिश्रण है
   
** गरासिया जनजाति की वेशभूषा--
                                           रहन-सहन वेशभूषा की दृष्टि से गरासिया जनजाति की अपनी अलग पहचान है गरासिया पुरुष धोती कमीज पहनते हैं और सिर पर तोलिया बांधते हैं गरासिया स्त्रियां गहरे रंग के तड़क-भड़क वाले कपड़े पहनती है वह अपने तन को पूर्ण रूप से ढकती है भीलो की तरह गरासिया में भी गोदना गूदवाने की प्रथा है गरासिया महिलाएं प्राय: ललाट व ठोड़ी पर गोदना गूदवाती है गरासिया लोग शिव ,भैरव ,दुर्गा के उपासक है

** गरासिया जनजाति की अर्थव्यवस्था--
                                               गरासिया जनजाति की अर्थव्यवस्था कृषि पशुपालन शिकार लकड़ी काटने व वन उत्पादों के एकत्रीकरण आधारित है अब यह लोग मजदूरी के लिए कस्बों व शहरों में भी जाने लगे हैं हरी भावरी गरासियो द्वारा की जाने वाली सामूहिक कृषि का एक रूप है यह लोग अनाज का संग्रहण सोहरि (कोठी) में करते हैं

** अन्य महत्वपूर्ण प्रशन--
(1.) गरासिया के घर को क्या कहते हैं
उत्तर- घेर

(2.) गरासियो के गांव को क्या कहते हैं
उत्तर- फालिया

(3.) गराशियों में कितने प्रकार के विवाह प्रचलित है
उत्तर- गराशियों में तीन प्रकार के विवाह प्रचलित है
1. मोर बंधिया विवाह
2. पहरावना विवाह
3. ताणवा विवाह