मीणा जनजाति
** मीणा जनजाति--
राजस्थान में आदिवासी जनसंख्या की दृष्टि से मीणा जाति का प्रथम स्थान है यह राजस्थान के सभी क्षेत्रों में पाई जाती है यह मुख्यतः जयपुर, दोसा, सवाई माधोपुर ,करौली ,अलवर ,टोंक ,भरतपुर और उदयपुर जिले में निवास करती है राज्य की जनजातियों में सबसे संपन्न तथा शिक्षित मीणा जनजाति है मीणा समुदाय का मानना है कि इनकी उत्पत्ति मत्स्य अवतार जो भगवान विष्णु के प्रथम अवतार है से हुई है वर्तमान का प्रचलित शब्द मीना, मीणा संस्कृत भाषा के मीन शब्द का अपभ्रंश है मीन का अर्थ से हैं ऐतिहासिक तथ्य है की वर्तमान अलवर ,भरतपुर व जयपुर जिलों के भूभाग में मीणाओं की अधिकता प्राचीन काल से होने के कारण इस क्षेत्र को मत से प्रदेश के नाम से जाना जाता था मीणा जनजाति की सर्वाधिक आबादी जयपुर जिले में है
** मीणाओं के प्रमुख रूप से 2 वर्ग पाए जाते हैं--
(1.) जमीदार मीणा
(2.) चौकीदार मीणा
इसके अलावा आदिया मीणा, रावत मीणा ,चमरिया मीणा ,चौथिया मीणा, व भील मीणा भी मीणाओं के अन्य समूह है इनमें आपस में विवाह संबंध नहीं होता है मुनि मगन सागर द्वारा रचित मीणा पुराण में 5200 गोत्र, 32 तडो व 13 पलों का उल्लेख है स्पष्ट है
** मीणा जनजाति का सामाजिक जीवन--
मीणा जनजाति में विवाह संबंधों ,नातेदारी तथा रक्त संबंधों को महत्वपूर्ण माना जाता है प्राचीन काल में मीणा जनजाति में ब्रह्म विवाह ,गंधर्व विवाह का प्रचलन था वर्तमान में अन्य समाजों की भांति रीति-रिवाज के अनुसार विवाह संपन्न होते हैं मीणा जाति में पुत्रियों का विवाह प्राय: कम उमर में कर देते हैं परंतु गोना विवाह योग्य आयु में ही किया जाता है मीणा जाति में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है तथा परिवार पितृसत्तात्मक होते हैं निसंतान दंपति को गोद लेने का अधिकार है
मीणाओं में सामाजिक नियंत्रण में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान होता है
-- मीणाओं की परंपरागत पंचायत के चार स्तर होते हैं--
(1.) ग्राम पंचायत
(2.) गोत्र पंचायत
(3.) क्षेत्रीय पंचायत
(4.) चोरासी पंचायत
इनमें सामाजिक झंगडो ,नाता विवाह ,तलाक, मौसर, चरित्रहीनता, कर्ज़ ,आदि को पंचायत ही निपटाती है
सबसे बड़ी पंचायत चोरासी पंचायत होती है
मीणा जनजाति के लोग धार्मिक मेले तथा त्योहारों में दृढ़ धार्मिक आस्था रखते हैं महावीर जी सवाई माधोपुर के गणेश जी तथा सीकर में रेवासा की जीण माता के मंदिरों पर मीणाओं के मेले लगते हैं मीणा जनजाति के लोग विभिन्न उत्सवों के समय नृत्य करते हैं और गीत गाते हैं स्त्रियां प्रायः देवी -देवताओं के गीत गाते हैं
** मीणाओं का प्रमुख नृत्य एवं प्रमुख जिले --
मीणाओं का प्रमुख नृत्य नेजा मरते हैं नेजा नृत्य होली के तीसरे दिन खेरवाड़ा और डूंगरपुर में किया जाता है
** मीणाओं के प्रमुख वस्त्र--
मीणा पुरुष धोती कमीज पहनते हैं फतेह सिर पर साफा बांधते हैं स्त्रियां घागरा ,कांचली वओढ़नी ,का प्रयोग करती है
शिक्षा के प्रसार के साथ -साथ शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्ति आधुनिक पहनावे पेंट शर्ट आदि वस्त्रों का प्रयोग करने लगे हैं मीणा स्त्री व पुरुष गोदना गोदवाना पसंद करते हैं यह लोग सगुन को गंभीरता से लेते हैं
मीणा जनजाति का समाज के अन्य वर्गों से घनिष्ठ संपर्क है मीणा समाज में शिक्षा का प्रसार तेजी से हुआ है इन लोगों ने अन्य जनजातियों के तुलना में आरक्षण सुविधा का अधिक लाभ उठाया है आज पूर्वोत्तर राजस्थान के इस जातीय समाज शिक्षा के आधार पर सभी राजकीय सेवाओं में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है प्रशासनिक वर्ग ,पुलिस ,सेना में हजारों मीणा लोग पद स्थापित है
** मीणा जनजाति की अर्थव्यवस्था--
मीणा कृषक वर्ग है जो कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं मीणा जनजाति में बटाईदार कृषि व्यवस्था का भी प्रचलन है शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ इन लोगों में सरकारी सेवाओं व अन्य व्यवसायों के प्रति भी रुझान बढ़ा है सरकारी सेवाओं में आरक्षण के कारण वर्तमान में इनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति अन्य समुदायों से तुलनात्मक रूप में बहुत सुदृढ़ हो गई है
** अन्य महत्वपूर्ण प्रशन--
(1.) मीणा जनजाति का प्रमुख नृत्य
उत्तर- नेजा नृत्य
(2.) मीणा जनजाति के प्रमुख वर्ग
उत्तर- मीणा जनजाति के 2 वर्ग हैं
1. चौकीदार मीणा
2. जमीदार मीणा
** मीणा जनजाति--
राजस्थान में आदिवासी जनसंख्या की दृष्टि से मीणा जाति का प्रथम स्थान है यह राजस्थान के सभी क्षेत्रों में पाई जाती है यह मुख्यतः जयपुर, दोसा, सवाई माधोपुर ,करौली ,अलवर ,टोंक ,भरतपुर और उदयपुर जिले में निवास करती है राज्य की जनजातियों में सबसे संपन्न तथा शिक्षित मीणा जनजाति है मीणा समुदाय का मानना है कि इनकी उत्पत्ति मत्स्य अवतार जो भगवान विष्णु के प्रथम अवतार है से हुई है वर्तमान का प्रचलित शब्द मीना, मीणा संस्कृत भाषा के मीन शब्द का अपभ्रंश है मीन का अर्थ से हैं ऐतिहासिक तथ्य है की वर्तमान अलवर ,भरतपुर व जयपुर जिलों के भूभाग में मीणाओं की अधिकता प्राचीन काल से होने के कारण इस क्षेत्र को मत से प्रदेश के नाम से जाना जाता था मीणा जनजाति की सर्वाधिक आबादी जयपुर जिले में है
** मीणाओं के प्रमुख रूप से 2 वर्ग पाए जाते हैं--
(1.) जमीदार मीणा
(2.) चौकीदार मीणा
इसके अलावा आदिया मीणा, रावत मीणा ,चमरिया मीणा ,चौथिया मीणा, व भील मीणा भी मीणाओं के अन्य समूह है इनमें आपस में विवाह संबंध नहीं होता है मुनि मगन सागर द्वारा रचित मीणा पुराण में 5200 गोत्र, 32 तडो व 13 पलों का उल्लेख है स्पष्ट है
** मीणा जनजाति का सामाजिक जीवन--
मीणा जनजाति में विवाह संबंधों ,नातेदारी तथा रक्त संबंधों को महत्वपूर्ण माना जाता है प्राचीन काल में मीणा जनजाति में ब्रह्म विवाह ,गंधर्व विवाह का प्रचलन था वर्तमान में अन्य समाजों की भांति रीति-रिवाज के अनुसार विवाह संपन्न होते हैं मीणा जाति में पुत्रियों का विवाह प्राय: कम उमर में कर देते हैं परंतु गोना विवाह योग्य आयु में ही किया जाता है मीणा जाति में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है तथा परिवार पितृसत्तात्मक होते हैं निसंतान दंपति को गोद लेने का अधिकार है
मीणाओं में सामाजिक नियंत्रण में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान होता है
-- मीणाओं की परंपरागत पंचायत के चार स्तर होते हैं--
(1.) ग्राम पंचायत
(2.) गोत्र पंचायत
(3.) क्षेत्रीय पंचायत
(4.) चोरासी पंचायत
इनमें सामाजिक झंगडो ,नाता विवाह ,तलाक, मौसर, चरित्रहीनता, कर्ज़ ,आदि को पंचायत ही निपटाती है
सबसे बड़ी पंचायत चोरासी पंचायत होती है
मीणा जनजाति के लोग धार्मिक मेले तथा त्योहारों में दृढ़ धार्मिक आस्था रखते हैं महावीर जी सवाई माधोपुर के गणेश जी तथा सीकर में रेवासा की जीण माता के मंदिरों पर मीणाओं के मेले लगते हैं मीणा जनजाति के लोग विभिन्न उत्सवों के समय नृत्य करते हैं और गीत गाते हैं स्त्रियां प्रायः देवी -देवताओं के गीत गाते हैं
** मीणाओं का प्रमुख नृत्य एवं प्रमुख जिले --
मीणाओं का प्रमुख नृत्य नेजा मरते हैं नेजा नृत्य होली के तीसरे दिन खेरवाड़ा और डूंगरपुर में किया जाता है
** मीणाओं के प्रमुख वस्त्र--
मीणा पुरुष धोती कमीज पहनते हैं फतेह सिर पर साफा बांधते हैं स्त्रियां घागरा ,कांचली वओढ़नी ,का प्रयोग करती है
शिक्षा के प्रसार के साथ -साथ शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्ति आधुनिक पहनावे पेंट शर्ट आदि वस्त्रों का प्रयोग करने लगे हैं मीणा स्त्री व पुरुष गोदना गोदवाना पसंद करते हैं यह लोग सगुन को गंभीरता से लेते हैं
मीणा जनजाति का समाज के अन्य वर्गों से घनिष्ठ संपर्क है मीणा समाज में शिक्षा का प्रसार तेजी से हुआ है इन लोगों ने अन्य जनजातियों के तुलना में आरक्षण सुविधा का अधिक लाभ उठाया है आज पूर्वोत्तर राजस्थान के इस जातीय समाज शिक्षा के आधार पर सभी राजकीय सेवाओं में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है प्रशासनिक वर्ग ,पुलिस ,सेना में हजारों मीणा लोग पद स्थापित है
** मीणा जनजाति की अर्थव्यवस्था--
मीणा कृषक वर्ग है जो कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं मीणा जनजाति में बटाईदार कृषि व्यवस्था का भी प्रचलन है शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ इन लोगों में सरकारी सेवाओं व अन्य व्यवसायों के प्रति भी रुझान बढ़ा है सरकारी सेवाओं में आरक्षण के कारण वर्तमान में इनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति अन्य समुदायों से तुलनात्मक रूप में बहुत सुदृढ़ हो गई है
** अन्य महत्वपूर्ण प्रशन--
(1.) मीणा जनजाति का प्रमुख नृत्य
उत्तर- नेजा नृत्य
(2.) मीणा जनजाति के प्रमुख वर्ग
उत्तर- मीणा जनजाति के 2 वर्ग हैं
1. चौकीदार मीणा
2. जमीदार मीणा
Social Plugin